दृढ़ अथवा स्वस्थ जनमत के निर्माण लिए आवश्यक शर्तें (Necessary conditions for the creation of strong or healthy public opinion)
दृढ़ एवं स्वस्थ जनमत के निर्माण के लिए निम्नलिखित अवस्थाओं का होना आवश्यक है-
लोकतंत्रीय शासन प्रणाली–
दृढ़ अथवा स्वस्थ लोकमत या जनमत के निर्माण के लिए सबसे अधिक आवश्यक शर्त लोकतंत्रीय प्रणाली का अस्तित्व है। लोकतंत्रीय प्रणाली में लोगों को प्रत्येक तरह के राजनीतिक अधिकार और स्वतंत्रताएं प्राप्त होती हैं, इसलिए निडरता सहित अपने विचारों को व्यक्त किया जा सकता है और उनकी तर्कशीलता से दृढ़ लोकमत का धीरे धीरे निर्माण किया जा सकता है।
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शिक्षित लोग–
लोकतंत्र की सफलता लोगों की उचित शिक्षा पर निर्भर है। अशिक्षित व्यक्ति ना तो देश की समस्याओं को समझने की कोशिश करता है और न ही सतर्क नागरिक बनकर सरकार पर नियंत्रण रखने की कोशिश करता है। अशिक्षित व्यक्ति के लिए अपने अधिकारों को उचित रूप में प्रयुक्त करना और कर्तव्यों का ठीक रुप से पालन करना भी कठिन होता है। एक दृढ़ अथवा स्वस्थ जनमत के निर्माण के लिए लोगों का शिक्षित होना आवश्यक होता है।
आदर्श शिक्षा प्रणाली–
शिक्षा प्रणाली ऐसी होनी चाहिए जो विद्यार्थियों को बहुमुखी ज्ञान और विद्यार्थियों को जन्म, नस्ल, जाति, रंगभेद आदि के भेदभाव के संकीर्ण क्षेत्र में सीमित न होने दें। एक आदर्श शिक्षा की प्रणाली लोगों के दृष्टिकोण को विवेकवान और International स्वरूप प्रदान कर सकती है।
जागरूक नागरिक–
लोकतंत्र की सफलता के लिए ऐसे नागरिकों की आवश्यकता है जो अपने अधिकारों, कर्तव्यों और देश की समस्याओं के विषय में जागरूक एवं सतर्क रहें। और अपनी बुद्धि के द्वारा देश की समस्याओं का समाधान करने में पूर्ण सहयोग दें। जिससे स्वस्थ लोकमत का निर्माण हो सके।
भाषण देने और विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता–
यदि किसी देश में भाषण देने और विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता नहीं है तो लोगों को अलग-अलग राजनीतिक दलों और लोकप्रिय नेताओं की जानकारी किस तरह प्राप्त हो सकती है? ऐसे ज्ञान के बिना स्वस्थ जनमत के निर्माण की कल्पना भी नहीं की जा सकती। एक दृढ़ अथवा स्वस्थ जनमत के निर्माण के लिए भाषण देने और विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता की आवश्यकता है।
सुसंगठित राजनीतिक दल–
राजनीतिक दल जाति, धर्म, भाषा, प्रान्त आदि के आधार पर संगठित नहीं होने चाहिए। तभी तो उनका आधार अच्छे आर्थिक और राजनीतिक सिद्धांत होना चाहिए। निश्चित सिद्धांतों पर राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देने वाले राजनीतिक दलों का अस्तित्व एक दृढ़ अथवा स्वास्थ्य जनमत के निर्माण के लिए आवश्यक है।
आर्थिक सुरक्षा–
जिस देश में आर्थिक समानता अधिक होती है, वहां राजनीतिक शक्ति भी धनी लोगों की दासी बन कर रह जाती है। परिणाम स्वरुप प्रजातंत्र शासन केवल कुछ एक लोगों के हित में ही कार्य करता है। इसलिए आवश्यक है कि प्रत्येक देश में सभी वर्गों के लोगों को आर्थिक सुरक्षा का अधिकार प्राप्त हो ताकि वे अपनी जीवन की आर्थिक चिंताओं से मुक्त होकर सार्वजनिक विषयों में रुचि ले सकें।
स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रेस–
नागरिकों तक प्रत्येक सच्ची बात पहुंचाना एक ईमानदार प्रेस का सर्वप्रथम कार्य है। केवल स्वतंत्र और निष्पक्ष समाचार पत्र ही एक दृढ़ अथवा स्वस्थ लोकमत का निर्माण कर सकते हैं। ईमानदार, निष्पक्ष, निर्भीक और स्वतंत्र प्रेस ही दृढ़ अथवा स्वस्थ जनमत का निर्माण करने में सहायक सिद्ध हो सकती है।
सांप्रदायिक भावनाओं का अभाव–
जिस देश में अलग-अलग जातियों, धर्मों और प्रांतों के लोग रहते हैं वहां प्रांतीय और सांप्रदायिक भावना एक स्वस्थ जनमत का निर्माण नहीं होने देती। ऐसे देश में जनमत का निर्माण करना बहुत कठिन है इसलिए यह आवश्यक है कि लोगों को सांप्रदायिक भावनाओं से मुक्त किया जाए और राष्ट्रीय हितों को सम्मुख रखकर उनके दृष्टिकोण को भेदभाव रहित एवं विस्तृत बना दिया जाए।
उचित प्रशासनिक प्रबंध–
यदि लोकतंत्रीय प्रणाली में प्रशासनिक प्रबंध उचित न हो तो इन व्यवस्थाओं का अस्तित्व जनमत के निर्माण संबंधी वह सफलता नहीं प्राप्त कर सकता है जो कि एक स्वच्छ, ईमानदार और निपुण प्रशासनिक प्रबंध के आधीन की जा सकती है। इसलिए स्वस्थ लोकसभा का निर्माण करने के लिए निपुण, योग्य और दलीय राजनीति से रहित शासन प्रबंध का अस्तित्व बहुत आवश्यक है।
NYC
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